अपने गांव की बहुत याद आती है इस शानदार कविता को पढ़कर पुरानी यादें ताज़ा हो जाएगी

 *अपने गाँव की होली बहुत याद आती हैं*



फागुन का महिना मस्ती की बातें

रंगों की होली यादों की बरसातें

होली के नगाडो़ं पर पड़ती थी थापें

पूरे महिने दिनरात हुड़दंग की वे यादें।


जब सुबह से घूमते थे बनाकर टोली

वो पिचकारियों के संग मनाते थे होली।

डोलची बाल्टियों व रंगों की हमजोली

संगी साथियों के साथ  होती आंखमिचौली।


याद है सड़क पर गुजरते लोगों पर रंग फेकना

वो हफ्तों तक चेहरे से रंग का ना छूटना।

घर के चबूतरे पर  गाँव वालों को छनती थी ठंडाई

छज्जे पे खडे़ होकर देखते होली की लडाई।


भांग में डूबे कुछ लोग दिख जाते

उल्टी सीधी हरकतों से कभी पिट जाते।

जी चाहता है अब की बार गांव चली जाँऊ 

बचपन के मीतों संग होली मनाऊँ।


सुनूं उनके दिल की कुछ अपनी सुनाँऊ

अब की बार होली गांव में मनाऊँ।

गांव की सारी यादें बहुत हैं सताती

कभी ये हंसाती  कभी हैं रुलाती ।


*सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं*



*सरिता जैन मुरैना ✍🏻*

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