ब्लैक फंगस के इलाज के लिए IIT हैदराबाद ने बनाया टैबलेट, काला जार जैसे जानलेवा फंगल बीमारी पर भी असरदार

 


हैदराबाद में शोधकर्ताओं ने ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के इलाज के लिए एक ओरल सॉल्यूशन तैयार किया है और वे इस टेक्नोलॉजी को हस्तांतरित करने के लिए तैयार भी हैं. IIT हैदराबाद ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए टैबलेट बनाई है. दरअसल, रिसर्चर्स ने ब्लैक फगंस की दवा एम्फोटेरिसिन बी (amphotericin B) को टैबलेट के रूप में तैयार किया है.

IIT ने कहा कि 60 मिलीग्राम की दवा रोगी के लिए अनुकूल होती है और यह दवा शरीर में धीरे-धीरे नेफ्रोटॉक्सिसिटी (किडनी पर दवाओं और रसायनों के दुष्प्रभाव) को कम करती है. IIT के अनुसार इस दवा की कीमत करीब 200 रुपये है.

रासायनिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सप्तर्षि मजूमदार और डॉ चंद्रशेखर शर्मा ने कालाजार के लिए प्रभावी रहने वाली नैनोफाइब्रस एएमबी (Nanofibrous AMB) दवा के बारे में प्रामाणिक अध्ययन किया है.

डॉ चंद्रशेखर शर्मा ने कहा कि “यह 60 मिलीग्राम की दवा रोगी के लिए अनुकूल होती है, यह टैबलेट सात दिन में नियंत्रित तरीके से असरदार एम्फोटेरिसिन बी रिलीज करेगा.” उन्होंने कहा, ''यह दवा ब्लैक फंगस के सिवा फंगल निमोनिया, काला जार जैसे जानलेवा फंगल बीमारी के लिए काफी असरदार है.”

टेक्नोलॉजी को बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए है तैयार

डॉ शर्मा ने कहा, ''दो साल के अध्ययन के बाद रिसर्चर इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इस टेक्नोलॉजी को बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए उचित फार्मा साझेदारों को दिया जा सकता है.'' उन्होंने कहा कि ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल दवा के व्यापक उत्पादन के लिए फार्मा कंपनियां कर सकती हैं. उन्होंने इस टैबलेट को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) के दायरे से बाहर रखा है. वे ऐसी फार्मा कंपनी की तलाश में है, जो इस टैबलेट का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सके.

शर्मा ने कहा कि यह तकनीक बौद्धिक संपदा अधिकार से मुक्त है ताकि इसका व्यापक स्तर पर उत्पादन हो सके और जनता के लिए यह किफायती एवं सुगमता से उपलब्ध रहे. फिलहाल देश में ब्लैक और अन्य तरह के फंगस के इलाज के लिए कालाजार के उपचार का इस्तेमाल किया जा रहा है.

कोरोना से ठीक हो चुके रोगी हो रहें ब्लैक फंगस के शिकार

ब्लैक फंगस की बीमारी कोरोना से ठीक हो चुके रोगियों में देखने को मिल रही है. कई राज्यों में इस बीमारी के मरीज मिले हैं. अभी इसके इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन का इस्तेमाल हो रहा है. हाल में सरकार ने कई कंपनियों को इस इंजेक्शन के उत्पादन की इजाजत दी है. अगर देश में इंजेक्शन के साथ साथ इस टैबलेट का उत्पादन शुरू हो जाता है तो इससे ब्लैक फंगस के इलाज में आसानी होगी.

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